वर दे वीणावादिनी वर दे ! ----- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" वर दे वीणावादिनी वर दे ! ----- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
नई राहे, नया जीवन हो, जीवन का हर पल नया हो, नई राहे, नया जीवन हो, जीवन का हर पल नया हो,
अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप। अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप।
बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा। बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा।
जीवन के संग्राम में हम करें आभार उसी परमात्मा का। जीवन के संग्राम में हम करें आभार उसी परमात्मा का।
तुम बसे हो मुझ में, देह में दिल हो ज्यूँ मौन हर्फ हो चेतना के, कैसे समझाऊं तुम बसे हो मुझ में, देह में दिल हो ज्यूँ मौन हर्फ हो चेतना के, कैसे समझ...